भ्रामरी प्राणायाम का विधि लाभ एवं सावधानियां

 

भ्रामरी प्राणायाम क्या है ?

भ्रामरी प्राणायाम का परिचय एवं अर्थ : 

भ्रामरी प्राणायाम एक प्राणायाम तकनीक है जो ध्यान और मानसिक शांति के लिए प्रसिद्ध है। इसका नाम 'भ्रामरी' संस्कृत शब्द से आया है, जिसका अर्थ होता है 'मधुमक्खी'। इस तकनीक के द्वारा हम मधुमक्खी जैसी ध्वनि उत्पन्न करते हैं जो मानसिक तनाव को कम करने, मस्तिष्क को शांत करने और शरीर को सुख और आनंद की अनुभूति कराती है। इस लेख में हम भ्रामरी प्राणायाम की विधि, इसके लाभ और सावधानियों के बारे में चर्चा करेंगे।


भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास विधि:

1. एक सुखासन में बैठें और अपनी आंखें बंद करें।

2. अपने शरीर को शांत रखें और सामान्य श्वास लें।

3. अब अपने मस्तिष्क के बीच में अपने दोनों अंगूठों को रखें। इसे शांतता और संगीत की भांति बार बार दबाएं।

4. ध्यान रखते हुए, अपने मुंह को धीरे से खोलें और भ्रामरी की आवाज़ उत्पन्न करने के लिए गले से बाहर साँस छोड़ें। इसके परिणामस्वरूप, आपको 'भ्रामरी' ध्वनि सुनाई देगी।

5. इस आवाज़ को ध्यान से सुनें और इसे पूरे ध्यान के साथ बनाए रखें।

6. धीरे से साँस छोड़ते हुए ध्यान को बनाए रखें और भ्रामरी की आवाज़ को मन्त्र की भांति गिनती करें। शांत और स्वतंत्र मन में खो जाएं।


भ्रामरी प्राणायाम के लाभ:

1. भ्रामरी प्राणायाम शांति और तनावमुक्ति प्रदान करने में मदद करता है। यह मस्तिष्क को शांत करने में सक्षम होता है और मन को अधिक स्थिर और स्पष्ट बनाता है।

2. यह मन की चिंताओं और चिंताओं को कम करने में सहायता करता है। यह मानसिक स्थिरता और शांति को बढ़ाता है और मनोविज्ञानिक रोगों जैसे अवसाद और चिंताओं को नियंत्रित करने में मदद करता है।

3. यह श्वास नली को मजबूत बनाता है और फेफड़ों को शक्ति प्रदान करता है। इससे प्राणायामिक प्रक्रिया मजबूत होती है और श्वास-मार्ग की सफाई होती है।

4. यह सिरदर्द, नींद न आना और अवसाद जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। यह शरीर की प्राकृतिक प्रोसेस को सुधारता है और मनोवैज्ञानिक रोगों के लिए एक प्राकृतिक उपाय प्रदान करता है।

5. यह सामान्य स्वास्थ्य को बढ़ाता है और शरीर के ऊर्जा को बढ़ाता है। इसके अभ्यास से शरीर की क्षमता में सुधार होती है और सामरिक और मानसिक रूप से सक्रियता बढ़ती है।


 सावधानियां:

1. भ्रामरी प्राणायाम को करने से पहले एक शांत और शुद्ध स्थान ढूंढ़ें।

2. इस प्राणायाम को करने के दौरान ध्यान केंद्रित और संकेतों के साथ रहें। इसे मनोवैज्ञानिक रोगों जैसे मनोविकारों और अवसाद के लिए उपयोग करने से पहले एक विशेषज्ञ से सलाह लें।

3. यदि आपको किसी भी प्रकार की चक्कर आने, बेहोशी के संकेत, या अन्य असामान्य शारीरिक रोगों के लक्षण महसूस हों, तो तत्काल इसे बंद करें और चिकित्सक से परामर्श करें।

4. अपने शरीर की सीमाओं को जानें और उन्हें पार न करें। यदि आपको कोई असामर्थ्य महसूस होती है, तो आप तुरंत छोड़ दें और चिकित्सक से संपर्क करें।

निष्कर्ष: 

इस तरह से, भ्रामरी प्राणायाम एक उपयोगीत कनीक है जो ध्यान और मानसिक शांति के लिए बहुत प्रभावी है। इसे नियमित रूप से अभ्यास करके हम अपने शरीर और मन को स्वस्थ रख सकते हैं। यह एक सरल तकनीक है जिसे कोई भी आसानी से सीख सकता है और इसका लाभ उठा सकता है।

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